आज गुफ्तगू करते हुए
तुझे होंठों पर जो लगाया
तो समझ आया
मानो तेरी वो महकती इलाइचीदार महक
और वो अदरकी ज़ायका
ऐसा लगा मानो ये जिस्म में ताज़गी आगयी हो
अब तो तुमसे ह ये सुबह की शुरुआत है
तुम पर ही बस ये ख़तम रात है
ऐसा लगा मानो मुझसे तू नहीं
लेकिन तुझसे तो बस में ही हूँ
ए चाय यार भी है
ये गुफ्तुगू भी है इन ठंडी हवाओं की शाम में
लेकिन यदि तू न होती
तो मेरी गुफ्तगू में मै ज़िंदा कैसे होती
INTERNATIONAL CHAI DAY
15 th December, 2019